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Tuesday, January 31, 2012

Yaad Aataa Hai Gujaraa Jamaanaa 102


याद आता है गुजरा जमाना 102

अखवार का वह पन्ना

मदनमोहन तरुण

एक दिन मैं अपने बहनोई गुणी बाबू के सात घर की छत पर टहल रहा था। थ।झोकेदार और तेज हवा चल रही थी।सामने दरधा नदी बह रही थी।उसके तट पर ताड॰ के वृक्षों की लम्बी कतार थी।उस तेज हवा में सुदृढ॰ ताड॰ के वृक्ष भी हल्के - हल्के झूम रहे थे।सारा दृश्य बहुत ही मनोरम था।हमदोनों चुप थे क्योकि उस समय मोहक प्रकृति की वाणी और व्यवहार में इतना रस और आनन्द भरा था कि हम एक पल के लिए भी उससे वंचित होना नहीं चाहते थे।

हम इन दृश्यों का आनन्द ले ही रहे थे कि कहीं उड॰ता हुआ अखबार का एक पन्ना हमलोगों के पास ही गिर पडा॰।गुणी बाबु ने उसे योंही उठा लिआ और देखने लगे। उन्होंने कहा 'यह तो यू पी एस सी का वज्ञापन है और अखबार का यह पन्ना मात्र दो दिन पुराना है। उन्होंने विज्ञापन पढा॰ तो चहक उठे।उन्होने कहा अब आप यहाँ से जाने की तैयारी करें।इसमें दमण कालेज में असिस्टेंट लेक्चरर के पद का विज्ञापन है।मैंने सोचा लेक्चरर हूँ , असिस्टेंट लेक्चरर के पद पर क्यों जाऊँ ?मैने यही उनसे कहा तो मेरी शंका का निवारण करते हुए उन्होंने समझाया - 'यह सेन्टृल गवर्नमेंन्ट का गजटेड पोस्ट है। इसका वेतनमान भी आपके अभी के वेतनमान से बेहतर है।एकबार प्रयास करने में क्या हर्ज है।मुझे लगता है यहां आपका चुनाव हो जाए गा।' मैंने कहा ठीक है मैं आवेदनपत्र भेज दूँगा । उन्होंने पूछा आपके पास प्रमाणपत्रों की कापी है या नहीं?' मैने कहा -'नहीं।' वे बोले आज मैं यहाँ नही रुकूँगा।आप अपने  सर्टिफिकेट दीजिए मैं पटना से उसकी काँपी बनवाके और अटेस्ट कर कल लेता आऊँगा।' कहकर उन्होंने मेरे सर्टिफिकेट लिए और पटना चले गये और दूसरे दिन उसे स्वयं अटेस्ट कर पटना से लौट आए। उनके पास यू पी इस सी के आवेदनपत्र का एक पुराना फार्म भी था। उन्हीं की देखरेख में मैंने वह आवेदनपत्र भर दिआ और उसी दिन रजिस्टर्ड डाक से  दिल्ली यू पी इस सी को भेज दिया।
मेरे बहनोई बहुत खुश थे , परन्तु मैं उतना खुश नहीं था। मुझे लग रहा था कि मैं लेक्चरर के पद से असिस्टेंट लेक्चरर के पद पर जा रहा हूँ। हालाँ कि मेरे मन में कहीं ऐसा लग रहा था कि चलो इसी बहाने इस जगह से मुक्ति तो मिलेगी।
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