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Tuesday, September 27, 2011

Yaad Aataa Hai Gujaraa Jamaanaa 64

याद आता है गुजरा जमाना 64

मदनमोहन तरुण

नलिनविलोचन शर्मा और त्रिलोचन शास्त्री

राधाकृष्ण जी ने निराला जयंती का आयोजन किया था। उसी के साथ केसरी कुमार जी की विदाई का कार्यक्रम भी जोड॰ दिया गया था। उस अवसर पर पटना विशवविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध विद्वान नलिनविलोचन शर्मा जी भी आए हुए थे। नलिन जी नई कविता की 'प्रयोग के लिए प्रयोग' की धारा 'नकेन' (नलिन,केसरी,नरेश की त्रयी)

के तीन कवियों में से एक थे। केसरी कुमार की विदाई के समय इस कारण भी उनका बुलाना महत्वपूर्ण था।नलिन जी विराटकाय थे।पाण्डित्य की प्रगाढ॰ता के समान ही उनका व्यक्तित्व अतिशय धीर - गंभीर था। नलिन जी के साथ ही बनारस से हिन्दी के कवि एवं विद्वान त्रिलोचन शास्त्री भी आए हुए थे। वे भवभूति जी के यहाँ रुके थे।

गोष्ठी की समाप्ति के दूसरे दिन हजारी बाग की एक साहित्यिक गोष्ठी के लिए जाना था। नलिनविलोचन शर्मा टैक्सी के आगे की सीट पर बैठे थे तथा नलिन जी के ठीक पीछे बैठे थे त्रिलोचन जी ।उनके बगल में भवभूति जी और मैं। टैक्सी तेजी से भागी जा रही थी ।कोई किसी से कुछ बोल नहीं रहा था। नलिन जी गंभीरता से कोई पुस्तक पढ़ रहे थे। कुछ देर बाद नलिन जी ने त्रिलोचन जी से अनुरोध किया कि वे निराला जी की कविता ‘राम की शक्तिपूजा’ की व्याख्या करें। त्रिलोचन जी को पूरी कविता याद थी।उसे पढ़ते हुए उन्होंने अपनी पाण्डित्यपूर्ण व्याख्या आरंभ की ,परन्तु नलिन जी को कोई अन्य पुस्तक पढ़ने में व्यस्त देख वे बीच में ही रुक गये।कुछ क्षणों बाद नलिन जी ने पीछे मुड़ कर देखा और उनके अचानक चुप हो जाने का कारण पूछा।शास्त्री जी ने बताया कि आपका ध्यान व्याख्या पर न होकर किसी अन्य पुस्तक पर था इसलिए मैंने इस विषय पर समय बर्बाद करना उचित नहीं समझा।नलिन जी ने स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उन्हें बताया कि वे उनकी व्याख्या पूरी तल्लीनता से सुन रहे हैं और प्रमाणतः उन्होंने उनकी व्याख्या यथावत प्रस्तुत कर दी। पुस्तक के बारे में उन्होंने बताया कि वे फ्रेंच की एक दुर्लभ पुस्तक पढ़ रहे हैं जो उन्हें कल ही वापिस करनी है।फिर उन्होंने शास्त्री जी से अनुरोध किया कि वे व्याख्या जारी रखें । उन्होंन कहा कि वे पुस्तक पढ़ते हुए भी उनकी व्याख्या तल्लीनता से सुनते रहेंगे। अबतक शास्त्री जी उनकी इस असाधारण योग्यता से अवगत हो चुके थे ।उन्होंने अपनी व्याख्या पूर्ववत उत्साह से आरंभ कर दी।यह यात्रा मेरे दुर्लभ अनुभवों में से एक है।

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