Total Pageviews

Thursday, February 17, 2011

Yaad Aataa Hai Gujaraa Jamaanaa 10

याद आता है गुजरा जमाना 10

मदनमोहन तरुण

कर्जदार बरगद

मेरे घर के समने कुछ ही दूरी पर गोलक पुर गाँव था। गोलकपुर यादवों का गाँव है। आज भी वहाँ सबसे अधिक संख्या उन्हीं की है। वह गाँव मेरे लिए दो करणों से अविस्मरणीय है - एक तो जोधी बहू ग्वालिन और दूसरा वहाँ का कर्जदार वटवृक्ष।

जोधीबहू एक नटे कद की अत्यंत सह्रदय महिला थी। मेरे बाबा के प्रति उनमें आगााध श्रद्धा थी। बाबा कृष्ण के अनन्य भक्त थे और वे जोधीबहू को राधिका मनते थे और उन्हें भौजी कह कर बुलाते थे।जोधीबहू नियमित रूप से हाडी॰भर दही लेकर सबेरे आतीं और बाबा के लिए कटोराभर दही दे जातीं। हमारे घर में दूध - दही की कमी नहीं थी । आनेक गायें थीं ,परन्तु जोधी बहू की अटूट श्रद्धा से भरे दही में जो स्वाद था वह भला और कहाँ !

जोधीबहू जबतक जीवित रहीं तबतक यह क्रम अटूट रहा। मेरे परिवार के सभीलोग उनका बहुत सम्मान करते थे।

गोलक पुर गाँव के प्रवेश द्दार पर ही एक विशाल बड॰ का वृक्ष था,जिसपर ताड़ का एक लम्बा सा पेड़ उगा था। जोधीबहू उसकी कहानी सुनाती हुई कहती थी, पिछले जनम में बड॰ के पेड॰ ने ताड॰ से कर्ज लिया था । बड॰ ने अपने जीवनकाल में वह कर्ज नहीं चुकाया। उस जन्म का महाजन ताड॰ इस जन्म में उसकी छाथी कर्ज वसूलने को खडा॰ है ।बड॰ जबतक उसका कर्ज नहीं चुका देता ,तबतक ताड॰ का पेड॰ उसकी छाती पर ऐसे ही खडा॰ रहेगा। कहानी सुनाकर जोधी बहू अपने कान पर हाथ रखतीं और कहती -' दूसरे सेभगवान न करे कि कर्ज लेना पडे॰ और अगर कभी ले तो चाहे जोभी हो उसे वसूल जरूर करे।नहीं तो देखिए बेचारे बड॰ की हालत है !

मेरे गॉव के कुएँ की शादी गोलकपुर के उसी वटवृक्ष से हुई है।इस तरह वह हमारे गॉव का दामाद है। हमारे गॉव में जब कोई शादी होती है तो उसी वृक्ष का पत्ता लाया जाता है और कुएँ से पानी निकाल कर मड़वा के दिन उसी पत्ते से पानी छिड॰क कर उसे नहलाया जाता है। इस तरह प्रकृति और पुरुषके साथ की यह परम्परा अटूट रूप से जारी है।

copy Right Reseved by MadanMohan Tarun

2 comments:

  1. ye sab padh kar hame apar khusi hui ki aaj bhi aise riti riwas ko log yad karate hai.ye karj aur kuwe ki sadi wali baat bahut hi rochak hai.mai aapane dosto ke bich isaka charcha karata hoon.

    ReplyDelete
  2. Uddeshya yhee hai ki beete dino kee sachhee jhanki apne anubhavon ke dwaaraa prastut kroon. Aap kee tippanni padha kar achhaa lagaa. bhavishya mei bhi apne mat avshya bhejein.

    ReplyDelete