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Monday, March 12, 2012

Yaad Aataa Hai Gujaraa Jamaanaa10 6


याद आता है गुजरा जमाना 106

दमण – दर्शन - 1 ( 1969 – 1979  का दमण )

मदनमोहन तरुण



रेस्ट हाउस में सबेरे का नाश्ता समाप्त करते -करते दिन के दस बज चुके थे।तैयार होकर करीब ग्यारह बजे तक मैं शहर की ओर निकल पडा॰।

आगे के प्रथम चौराहे के पास ही पुलिस स्टेशन है और उसके ठीक सामने ,छोटा -सा , परन्तु खूब साजा -सँवरा नानी दमण का  मारकेट। मुख्यतः विदेशी सामानों से भरा बाजार। यहाँ आवश्यकता और शौक की चीजों की विविधता है। इस मारकेट में अन्दर प्रवेश कर इसकी परिक्रमा की जा सकती है। मार्केट से नीचे उतरें तो हरी - हरी सब्जियों की दुकानें । ठीक उसके सामने टैक्सी स्टैण्ड।वहीं पर एक पान की दुकान। तब दमण में बहुत मामूली होटल थे। एकाध। मेरे देखते -देखते नजीर भाई ने अपनी माँ के नाम पर खारी वाड की ओर भव्य 'रौशन मंजिल' बनवाया। उसी की पहली मंजिल पर होटल बना ,जिसमें  समय - समय पर बालीवुड के सितारे रुका करते थे। इसी भवन की तीसरी मंजिल पर मैं अपने परिवार के साथ करीब दस वर्षों (१९ ६९ से १९७९ जून) तक रहा। इसी भवन के पास के सांस्कृतिक आयोजनों में कई बार बालीवुड के गायक अपने कार्यक्रम दे चुके हैं। यहाँ से जरा आगे नजीर भाई ने अपनी पत्नी के नाम पर शमा टाकिज बनवाया था। दमण में करीब हर चार या पाँच दुकान के बाद एक बार है। आबादी का बडा॰ भाग फेनी और काजू नाम की शराब पीता है, परन्तु अपने इस लम्बे प्रवास के दौरान  शायद ही  किसी को बहकते या लड॰खडा॰ते देखा हो। सच पूछिये तो गुजरात के लोगों के लिए दमण का यह सबसे बडा॰ आकर्षण है। ड्राई गुजरात को वे यहाँ गीला करते है।शनिवार और रविवार को यहाँ ऐसे सैलानियों की अचछी भीड॰ जमा होती है। फेनी और काजू रम के अलावा देसी व्हिस्की ,वाइन और बियर , जो बाहर की अपेक्षा थोडे॰ सस्ते है ,यहाँ के मुख्य आकर्षणों में हैं।

पुलिस स्टेशन से उत्तर दिशा की ओर चलें तो आगे चल कर यहाँ की जेटी है, जहाँ पोर्तगीजों के समय में उनके माल से लदे जहाज रुका करते थे। यह जेटी नानी दमण के १७हवीं सदी में निर्मित ,संत जेरोम के विशाल किले की बाहरी गोद में है। संध्या   समय यहाँ अच्छी भीड॰ जमा होती है। इस स्थान का सबसे बडा॰ आकर्षण है , दमण गंगा। यहीं इस नदी का महासागर से मिलन होता है और इसी मिलनबिन्दु पर बसा है यह छोटा , किन्तु  ऐतिहासिक शहर ।  इसी नदी के नाम पर  इस शहर का नाम पडा॰ 'दमण' यह नदी अपने प्रवाह से दमण को दो भागों में विभाजित करती है। एक भाग का नाम है नानी दमण और दूसरे का मोटी दमण। मोटी दमण में ही समस्त सरकारी कार्यालय हैं। यही पोर्तगीजों के समय के भव्य चर्च  तथा स्कूल हैं। इन भवनों पर पोर्तगीज कला की गहरी छाप है। इनके भीतर विशाल -विशाल कक्ष हैं। कमरे सामान्यतः एक- दूसरे से मिले हैं। एक कमरे से दूसरे में जाने के लिए अन्य कमरों से होते हुए जाना पड॰ता है। दमण गंगा के दोनों तटों पर जेटी है और पोर्तगीजों के पुराने किले , जो उनके आधिपत्य की निशानियाँ है। मोटी दमण में ही पुराना लाइटहाउस है। मोटी दमण, नानी दमण   की तुलना में एक कोलाहल मुक्त स्थान है। साफ -सुथरी सड॰कों पर चलते हुए लगता है किसी विशाल किले के भीतर घूम रहे हों। यहाँ चारो ओर छतनार वृक्षों की गहन छाया है। उस समय तक नानी दमण से मोटी दमण जाने का एकमात्र साधन थी नाव।तबतक पुल का निर्माण नहीं हुआ था।

नानी दमण में देवका बीच सबसे सुन्दर है। अब उसके पास कई अच्छे होटल खुल गये हैं।प्राकृतिक दृष्टि से भी यह बीच वृक्षावलियों से शोभित और रमणीक है। मोटी दमण में जमपुर बीच तैराकी के लिए लोकप्रिय है। दमण के सागर तटों पर हमने ढेर सारे शंख ,कौडी॰ और सीप जमा किये थे। 

कभी हरिशचन्द्र कल्याण जी धोण्डे ने बताया था - '१९४० में दमण में भयंकर समुद्री तूफान आया था। यह अक्तूबर महीने की पूर्णिमा थी। दो बजे के बाद हवा धीरे- धीरे चलने लगी। फिर तेज वर्षा शुरू होगयी और हवा क्रमशः तूफानी होती गयी। जिमी सेठ की बाडी॰ के अनेकों नारियल के वृक्ष जड॰ से उखड॰ कर ध्वस्त हो गये। हवा और वर्षा रात भर होती रही। लोगों के घर गिर गये। अनेकों घरों के छप्पर उड॰ गये। वापी में तो गोदाम की पूरी छत ही उड॰ गयी। गनीमत है सागर में बहुत उफान नहीं आया, नहीं तो दमण वासियों का जीवन और भी बेहाल हो जाता।

दमण में बाढ॰ का एक विकट दृष्य मैंने भी देखा था। यह बाढ॰ १९७६ में आई थी। सम्भवतः जुलाई का महीना था। उनदिनों मैं खारीवाड के रौशन मंजिल में रहता था। वह दमण का नवीनतम और सबसे ऊँचा मकान था। मै उसकी तीसरी मंजिल पर रहता था। एक दिन तेज हवाएँ चलने लगी और कुछ ही देर में तेज वर्षा होने लगी और धीरे - धीरे हवा ने तूफानी रूप धारण कर लिया। तीन दिनों तक लगातार वर्षा होती रही। सागर पर हर किसी को विश्वास था कि वह पानी को स्वयम में समेट लेगा और दमण वासियों को कोई कष्ट नही होगा। लोग यही सोच कर निश्चिन्त अपने घरों में सो रहे थे। परन्तु रात में करीब तीन बजे जोर - जोर की आवाजें सुन कर लोगों की नींद खुल गयी। जिनके घर नीचे थे , वे पूरी तरह पानी में डूब गये थे। स्वयम रौशन मंजिल का एक तल्ला पानी मे डूबा हुआ था। बाहर सड॰क गायब थीं । सड॰क पानी में डूबी थी। लगता था महासागर दमण शहर की सैर करने आगया है। लोगों की रक्षा के लिए दमण के माछी अपनी नावे पानी भरी सड॰कों पर उतार लाए थे। उसी से एक ओर जहाँ डूबतों को बचाया जा रहा था , वहीं लोगों तक आवश्यकता की चीजें पहुँचाई जा रही थी। दमण के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को भी इससे पहले किसी ऐसी बाढ॰ की याद नहीं थी।

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