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Tuesday, January 31, 2012

Yaad Aaataa Hai Gujaraa Jamaanaa 87


अखवार का वह पन्ना याद आता है गुजरा जमाना 87

मदनमोहन तरुण

अखवार का वह पन्ना

हमारी जिन्दगी कई बार हमसे रहस्यमय अजनवियों जैसा व्यवहार करती है  और जो हम अपने बारे में कभी सोचते भी नहीं , वह घटित हो जाता है। 

मेरी बहन का विवाह सम्पन्न होचुका था।मेरे बहनोई गुणीन्द्रमोहन मिश्र उनदिनों मुंसिफ मजिस्ट्रेट थे। बहनोई। हमदोनों ने ग्रैज्युएशन राँची काँलेज से ही किया था इसलिए हम जब भी मिलते राँची की यादें ताजा हो जातीं।यद्यपि वे विद्यार्थी तो अँग्रेजी साहित्य के रहे थे ,किन्तु कानून उनकी रुचि का विशेष क्षेत्र था और उसपर बातेम करना उन्हें बहुत पसन्द था। सम्भवतः पैत्रिक परम्परा के कारण। हम जब भी मिलते इन विषयों पर देर तक बातें चलती रहतीं।

एकदिन संध्या समय हम छत पर बैठे बातें कर रहे थे तभी अखवार का एक पन्ना कहीं से उड॰ता हुआ हमारे पास गिर पडा॰।गुनीबाबू ने उसे योंही उठा लिआ और उलट - पलट कर देखने लगे।फिर तनिक रुक कर उन्होंने कहा - इसमें तो यू .पी. एस. सी. का विज्ञापन है। वे विज्ञापन गौर से देखने लगे। बोले इसमें गवर्नमेंट कालेज दमण के व्यख्याता का पद है । पद गजटेड है।पेपर की तिथि पर ध्यान दिया तो पाया कि यह मात्र दो दिन पहले का है। उन्होंने मुझसे कहा कि आपको इस पद के लिए अपना आवेदनपत्र भेजना होगा।उन्होंने मेरे प्रमाणपत्र लिए और पटना चले गये। उसकी टाइप्ड कापियाँ तैयार करवाई , स्वयम अटेस्ट किया और लौट कर जहानाबाद आगये। उनदिनों अखवार के विज्ञापन के साथ ही यू .पी .एस .सी . का आवेदनपत्र का फार्म भी छपता था। मैंने फार्म भर दिआ और सर्टिफिकादि अटैच कर रजिस्टर्ड पोस्ट से भेज दिया। महीने भर बाद साक्षात्कार के लिए बुलावा भी आगया।
निश्चित तिथि को एक बैग में ,प्रमाणपत्र और अपनी कुछ प्रकाशित सामग्री लेकर रात्रि में हवडा॰ एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए रवाना हो गया।

यात्रा करते समय मैं अखवार के उस पन्ने के बारे में सोच रहा था जो कहीं से उड॰ता हुआ हमलोगों के पास आ गिरा था।आज वही पन्ना हमें दिल्ली लिए जा रहा था। एक नयी यात्रा की ओर। जिन्दगी का एक अपना नियम है जो कई बार बहुत रहस्यमय होता है।कई बार अचानक ही उसमें नये - नये लोग शामिल हो जाते हैं , जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं था और वे कार्य सम्पन्न कर फिर कहीं तिरोहित हो जाते हैं।इसमें जड॰ और चेतन का भेद नहीं होता। जीवन रहस्यमय महीन धागों से बुना गया है जिसका हर धागा अपने आप में एक पूरा विराट संसार है।इसका साक्षात्कार हमें कभी - कभी ही हो पाता है और जब होता है तो इसका सम्मोहक चमत्कार हम अभिभूत होकर देखते ही रह जाते हैं।
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