याद आता है गुजरा जमाना 82
मदनमोहन तरुण
मेरी मामी का तोता
प्रकृति अनेकानेक असूझ रहस्यो से परिपूर्ण है। हमारे सामान्य जीवन में भी कई बार ऐसी घटनाएँ होती हैं या किसी का ऐसा अकल्पनीय आचरण होने लगता है कि सामान्य बुद्धि और विवेक से उसे समझना बहुत कठिन हो जाता है। मेरे जीवन में ऐसे कई प्रसंग आए हैं जिन्हें न मैं कभी समझ पाया और न दूसरों ने ही उस रहस्य को मेरी मामी अपने मैके से एक तोता लेकर आयी थीं। वे उसका बहुत खयाल रखती थीं।उस तोते को पानी में फुलाया चना, बेर और अमरूद बहुत पसंद था। मामी यह सब उसे समय पर स्वयम खिलाती थीं। सामान्यतः उसका पिंजरा छप्पर से लटका कर टँगा रहता था । मामी जब भी उसके सामने खडीं होतीं ,वह बडे॰ गौर से उन्हें निहारता रहता। एकटक।
एकदिन एक असाधारण घटना हुई। मेरे मामाजी गया से लौटकर आए थे।मामी उस समय तोते के पिंजरे के पास खडी॰ थीं। उन्हें वहाँ देखकर मामाजी भी उनके पास चले गये। किन्तु यह क्या ? मामाजी को मामी जी के पास खडे॰ देख कर तोता भड॰क गया। वह उन्हें घूरता हुआ जोर - जोर से चिल्लाने लगा और पिंजरे पर जोरों से आक्रमण करने लगा। लगा , जेसे वह पिंजरे को तोड॰कर बाहर निकल आएगा और मामाजी पर आक्रमण कर देगा। इस तोते ने आजतक कभी ऐसा आचरण नहीं किया था।मामा -मामी उसे ऐसा करते देखकर डर गये। उन्हें लगा कि यह पिंजरे से यदि ऐसे ही टकराता रहा तो बुरी तरह घायल हो जाएगा। इसबीच आवाज सुनकर मेरी नानी भी वहीं आगयी। मैं भी बाहर निकल आया। कोई समझ नहीं पारहा था कि आखिर तोते को शांत कैसे किया जाए। इसी क्रम में मामाजी ,मामी के पास से हटकर मेरी नानी के पास चले आए। अब जैसे चमत्कार- सा होगया। मामाजी जैसे ही मामी से अलग हुए , तोता पूर्णत; शांत हो गया। उसे शांत देखकर सबों ने राहत की साँस ली। मामाजी लौटकर फिर से तोते के पास खडी॰ मामी के पास चले आए। परन्तु यह क्या , मामाजी के वहाँ आते ही तोता पूर्ववत असामान्य आचरण करने लगा। अब मामी वहाँ से हट गयीं केवल वहाँ मामाजी रहगये, तोता शांत होगया। अब मामाजी के पास नानी आकर खडी॰ होगयी। तोता शांत रहा। तनिक देर बाद मामी, मामा जी के पास आकर फिरसे खडी॰ होगयीं। शांत तोता दोनों को साथ खडा॰देख कर फिर से बुरी तरह आक्रामक हो गया।
अब यह बात सबकी समझ में आगयी कि तोता मामा -मामी को ही साथ खडे॰ देखकर आक्रामक आचरण करने लगता है। मामी के पास यदि कोई और खडा॰ हो तो वह ऐसा आचरण नहीं करता। तोते के इस आचरण की जाँच के लिए वे दोनों कईबार साथ - साथ खडे॰ हुए और तोते ने बार – बार पहले जैसा ही व्यवहार किया।
वह तोता जबतक जीवित रहा , तबतक वह मामा - मामी को साथ खडे॰देखकर वैसा ही उग्र आचरण करता रहा।
बाद में दोनों ने उसके सामने एकसाथ खडा॰ होना बन्द कर दिया। परन्तु कभी वे भूल से भी साथ खडे॰ होते तो तोता जान देने और लेने की मुद्रा में चिल्लाकर पिंजरे को तोड॰कर बाहर आने का प्रयास करता और कई बार अपने इस उग्र आचरण से वह बुरी तरह लहूलुहान होजाता।
हमलोग तोते के इस आसाधारण आचरण को कभी समझ नहीं पाए।
कभी - कभी मामा जी , मामी जी को छेड॰ते हुए कहते , लगता है यह तोता पूर्वजन्म में आपका पति या घनिष्ठ प्रेमी रहा होगा !
Copyright reserved by MadanMohan Tarun
No comments:
Post a Comment