याद आता है गुजरा जमाना -31
मदनमोहन तरुण
जहानाबाद का बदलता चेहरा 5
पिचले पचास वर्षों के बाद 2009 के दिसम्बर महीने में।
शहर के बाहर की ओर जहानाबाद ने दूर - गाँवों तक अपने पाँव फैलाए हैं।ग्रामीण आबादी शहर की ओर बढ॰ रही है और लोग इतस्ततः बिना किसी सुनिश्चित योजना के मकान बनवा रहे हैं। इसी अनुपात में यहाँ का बाजार भी बढा॰ है।बाजार की ओर की सड॰कें पहले जैसी ही हैं , उनका फैलाव नहीं हुआ है किन्तु खरीदारों की संख्या पहले से पचीस गुना से भी ज्यादा बढी॰ है । रिक्शा के साथ - साथ शहर और गाँव वालों के पास कार और जीप भी है। बाजार में जब कभी इनका प्रवेश होता है तो चलना कठिन हो जाता है और लोगों को देर तक रुकना पड॰ता है। बाजार में खरीदारी करने वाले अब केवल पुरुष ही नहीं हैं , करीब पन्द्रह प्रतिशत महिलाएँ भी हैं जो अकेले ही खरीदारी करती हैं। नीतीश कुमार जी के सुशासन में लोगों का आत्मविश्वास बढा॰ है। स्त्रियाँ देर शाम तक खरीदारी करती देखी जा सकती हैं। अब यहाँ एक महिला काँलेज भी है जहाँ कई लड॰कियाँ जीन्स ,स्कर्ट और ऊँची हिल वाली सैंडल में भी दिखाई पड॰ती हैं। उनके चेहरों पर उत्साह , ताजगी और आत्मविशवास झलकता है। यहाँ अब एक से अधिक काँलेज हैं जिनमें पढ॰नेवालों की संख्या अच्छी खासी है।अब यहाँ कई तरह के आधुनिक पब्लिक स्कूल भी खुल गये हैं , जो अगली परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं।
एकदिन शाम को जब मैं बाजार से लौट कर अपने घर की ओर गली से गुजर रहा था तो मैंने सैंकडों॰ युवक - युवतियों को यहाँ - वहाँ खडे॰ या गुजरते देखा। मुझे लगा कोई संगीन झगडा॰ हो गया है। मैंने पास के एक दुकानदार से जब वहाँ इतनी बडी॰ संख्या में युवकों के इकट्ठे होने का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस गली में यहाँ से वहाँ दूर तक कोचिंग क्लासेस खुले हुए हैं , जहाँ इंजीनियरिंग , कामर्स, मेडिकल एवं प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। जहानाबाद में ऐसे प्रशिक्षणालयों की बहुत बडी॰ सख्या है जहाँ छात्र अपने भविष्य की तैयारी करते हैं।वे केवल जहानाबाद के ही छात्र नहीं हैं , उनमें से काफी लोग सुदूर गाँवों से भी आते हैं। मेंने इन छात्रों में अच्छीखासी संख्या छात्राओं की भी देखी।इन युवक - युवतियों की आँखों में नई चमक थी, उत्साह था और दुनिया में अपनी सत्ता की सार्थकता सिद्द करने का अदम्य उत्साह । यह सतेज महत्वाकांक्षाओं की ऐसी संकल्पित आँधी थी , जो देश - विदेश में छा जाने को बेचैन थी। इनमें केवल पाँच प्रतिशत छात्र ही ऐसे थे जो शिक्षक या लेक्चरर बनने की इच्छा रखते थे।इनमें ज्यदातर की महत्वाकांक्षा प्रशासकीय सेवाओं या आई. टी. में या इंजीनियरिंग में जाने की थी।
सिनेमा हाँल के बाहर , बैंकों , पोस्ट आँफिसों , स्टेशन सब जगह भीड॰ ही भीड॰ दिखाई देती है। कई होटल हैं। कई इडली Wर मसाला-डोसा के होटल हैं ,जिन्हें लोग खूब चाव से खाते हैं।
जहानाबाद की नई पहचान उसके युवक - युवती हैं , जो केवल चलते और दौडते हुए नहीं , बल्की नई - नई दिशाओं में उडा॰न भरते हुए दिखाई देते हैं।
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